Sunday, October 17, 2010

मानव का विकास !!

दुनिया के रंग बदलते मैंने देखे है इन आँखों से !
देख रहा अतीत आज मैं वर्तमान की सलाखों से!!

रहा गुफाओं मैं घर मेरा,पत्थर से आग जलाता था !
अपनी भूख तृप्त करने ,जिन्दे खग को खा जाता था !

ना भाषा थी ना शब्द कोई बस इशारों में बतियाता था !
ज्ञान समझ कोई चीज़ ना थी बस जीकर मरना होता था!!

महत्व हीन जीवन लगता था,क्योंकि लक्ष्य नहीं था कोई!
ऐसे ही होते होते ना जानें कितनी पीढ़ी निकल गयीं !!

धीरे – धीरे हुआ विकास ,सभ्यताओं का हुआ जन्म !
भगवान मैं जगी आस्था निर्मित हुए अनेकों धर्म!!

साम्राज्य की मची होड़ और राजाओं मैं हुए संग्राम !!
तब मानवता का पाठ पढ़ाने आये थे पुरषोत्तम राम!!

मैंने दुनिया को देखा बदलते, नित प्रतिदिन हो रहा विकास!!
इच्छा शक्ति की हदें पार कर मानव ने छू लिया आकाश!!

नागासाकी हिरोशिमा के दुर्दिन भी मैंने देखे है इन आँखों से !
अब देख रहा अतीत आज मैं वर्तमान की सलाखों से!!

आज़ादी के महासंग्राम की याद अभी ताज़ा है मेरे दिल मैं !!
सच्चे भारत के सपूतों की कहानी सुना रहा हूँ महफिल मैं !!

इतनी दुनिया मैंने देखी है फिर भी जिज्ञासा अभी है बनी हुई !
अब अगला कदम कहाँ होगा मानव का ये बात दिमाग मैं घूम रही !!

डर लगता है अब मुझको प्रलय की खबरों को सुनकर !
दोस्तों को दे रहा हु दिलासा ” कुछ नहीं होगा” कहकर !!

4 comments:

  1. ब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है। आप बहुत ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुंचाईये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
    ‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    मालीगांव
    साया
    लक्ष्य

    हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
    अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से

    कृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।

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  2. कविता अच्छी लगी धन्यवाद|

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  3. इतनी दुनिया मैंने देखी है फिर भी जिज्ञासा अभी है बनी हुई !
    अब अगला कदम कहाँ होगा मानव का ये बात दिमाग मैं घूम रही !!
    good

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